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भोलेनाथ जो की नथो के नाथ है, उन्हें भोलेनाथ इसलिए कहा जाता है क्युकी वह कभी भी किसी भी मे भेद- भाव नहीं करते है चाहे फिर वो मनुष्य हो, देवता हो, या फिर असुर हो| भोलेनाथ जो की भगवान शिव है वह बड़ी ही आसानी से अपने भक्त के हो जाते है और अपनी पूरी कृपा दिखते है अगर कोई भक्त उन्हें सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ पूजता व मानता है तो|
सिर्फ यह ही एक वजह नहीं है की भक्त सिर्फ शिव को प्रसन्न करने के लिए या सत्य और सच्चाई की रक्षा के लिए ही शिव की पूजा व् भक्ति करते है कभी – कभी भक्तजन भगवन शिव की भक्ति गलत मनोव्यक्ति से भी करते है और भगवान शिव जो की भक्तो की कड़ी तपस्या से प्रस्सन होकर अपने भक्तो को मनचाहा वरदान देने का खामियाजा खुद भगवान शिव ने भी भुक्ता है|
जैसे कथित ग्रन्थ के अनुसार भस्मासुर नाम का एक राक्षक जो की दुनिया का सबसे ताकतवर दानव व् राक्षक बन पृथ्वी पर सभी लोगो पर शासन व् अपना गुलाम बनना चाहता था इसके साथ व् असुर भगवन शिव अथवा भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्त था और उसने भगवन शिव को प्रसन्न करना व् उनसे वरदान मांगने के लिए कड़ी तपस्या की थी व् अच्छी तरह से वाखीव था और जनता था की भोलेनाथ उसके तप से जल्दी ही प्रसन्न हो जायेंगे|
भस्मासुर के द्वारा बेहद भक्ति व् अडिग ध्यान के साथ किये जा रहे तप ने कैलाश पर्वत विराज़मान भगवान शिव व् भोलेनाथ तक को भी आकांछित व् पूरी तरह से हिला कर रख दिया था खुद भगवान शिव भी आशर्यचकित हो गए और सोच मे पड़ गए की आखिर कौन उन्हें इस कदर पुकार और याद कर रहा है? फिर भगवान् शिव ने अपनी दैविक दृष्टि से देखा और उन्हें ज्ञात हुआ कि यह कठोर तप भस्मासुर द्वारा किया जा रहा है।
उसके बाद भगवान् शिव स्वयं भस्मासुर के पास पहुंचे और उसे आँखे खोलने का आदेश दिया| जैसे ही भस्मासुर ने भगवान शिव की आवाज सुमि और अपनी आँखे खोलते ही उसने भगवान सही को खुदके समक्ष पाया वैसे ही वो एक सच्चे भक्त की तरह भगवान् शिव के सामने नतमस्तक हो गया।
जैसे ही भस्मासुर ने भगवन शिव को देखा उसके मुख से यह वचन निकले “ईश, आखिरकार आप आ ही गए।“ और इस कथन पर भोलेनाथ बोले “तुमने मुझे इतनी तन्मयता के साथ याद किया है, मुझे तो आना ही था”। और फिर शिव ने भस्मासुर को वरदान मांगने को कहा|
भस्मासुर के यह जानने के बाद की भगवान शिव अथवा भोलेनाथ उसकी तपस्या से बेहद प्रसन्न हुए तोह वह जान गया था की वो वरदान का भी हकदार है और उसने जो वरदान माँगा वो तोह खुद भगवान् शिव के बस मे भी नही था|
भस्मासुर ने भगवान शिव से अमरता का वरदान माँगा, अर्थात वह कभी भी मृत न हो खुद मृत्यु भी उसका कुछ न बिगाड़ सके जो की भगवान् शिव के अनुसार पूरी तरह से प्रकति के नियमो के खिलाफ थी क्युकी जिस भी प्रवत्ति ने इस धरती पर जान लिया व् कोई भी इस धरती पर जन्मा है तो उसका मरना व् उसकी मृत्यु निचित है|
भगवान् शिव के काफी मना करने के बाद भी भस्मासुर अपनी मांग पर ऐडा रहा और उसकी काफी कोशिशों के बाद भी भी शिव के न मानने पर भस्मासुर को लगा की भगवन शिव उसकी मांग पूरी किये बिना ही अंतर्ध्यान हो जाएगी तो उसके अपनी मांग बदल दी और भगवा शिव से दूसरी मांग मांग ली|
भस्मासुर न भगवान् शिव से अपने दूसरा वरदान यह माँगा की जब भी वह अपना हाथ किसी के भी सर पर रखे तो वो व्यक्ति वही भस्म हो जाये और भगवान् शिव ने उसकी यह बात मान ली और एहि वरदान भगवान् शिव के खुद के लिए आफत बन गयी|
भगवान शिव से यह वरदान प्राप्त कर के वह जिस पर भी अपना हाथ रखेगा वह राख हो जाएगा और भगवान् शिव अपना वरदान दी के बाद कभी भी उसे वापस नहीं लेते तो उसने सबसे पहले यह वरदान भगवान् शिव को ही इसका शिकार बनाना चाहा और इसकी वजह से भगवान् शिव को खुद की जान बचने के लिया इधर – उधर भागना पड़ा|
भस्मासुर से अपनी स्वयं की रक्षा व् जान बचनेke लिए इधर उधर भागते हुए उन्हें पालनहार विष्णु का ध्यान आया और वह उन्हे स्मरण करने लगे और शिव का संकेत व् आह्वान सुनते ही भगवान् विष्णु तुरंत भगवान् शिव के समख उनकी सहायता के लिए प्रकट हुए|
भगवान् शिव को धुनते वक्त भस्मासुर की दृष्टि एक बेहद खूबसूरत और सुन्दर स्त्री पर पड़ी जो की बेहद आकर्षक थी उसको देखने के बाद भस्मासुर अपनी सुध- भूद खो बैठा और यह तक भूल गया की शिव की तलाश क्यों कर रहा था और वो सिर्फ एकटक उस स्त्री को निहारता व् देखता रहा| भस्मासुर ने उस स्त्री से फिर उसका नाम पूछा और कहा की तुम्हारा नाम क्या है?
भस्मासुर के प्रशन्न पूछने पर स्त्री ने जवाब म आपणास नाम मोहिनी बताया| भस्मासुर मोहिनी को देख कर उसकी खूबसूरती के जाल मे फास गया और मोहिनी से पूछा की ‘क्या तुम मुझसे विवाह करोगी क्या’|
भस्मासुर का यह सवाल सुन कर नर्तकी मोहिनी को हसी आ गयी और उसने भस्मासुर को कहा की वह एक नृत्यांगना है और वह उसी पुरुष से विवाह करेगी जो एक बेहतरीन नर्तक होगा| वैसे तोह भस्मासुर ने कभी अपने जीवन में नृत्य नहीं किया था पर मोहिनी के कहने पर वो यह भी करने को भी तैयार हो गया|
और फिर भस्मासुर ने मोहिनी से कहा अगर तुम मुझे नृत्ये सिखाओगी तोह मे नृत्य करूंगा और इस कथन पर मोहिनी ने कहा ठीक है जैसे जैसे मे नृत्य करती हु तुम भी कदम से कदम मिलाना|
भस्मासुर ने मोहिनी के कहने अनुसार नृत्य शुरू किया और नृत्य करते- करते मोहिनी ने अपने सिर पर हाथ रखा और भस्मासुर ने भी उसके देखते देखते अपने सर पर हाथ रख लिया और वो इस बात को भूल गया की उसने भगवान् शिव से यह वरदान माँगा था की वो जिस पर भी हाथ रखेगा वो भस्म हो जाएगा और वो खुद स्त्री से प्रेम में आकर यह वरदान भूल गया और खुद भस्म हो गया और यह ही वरदान उसके खुद के लिए श्राप साबित हुआ|
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